Главная страница | Форум | О сайте | Обратная связь
Меню сайта
Категории
Достопримечательности [104]
История, литература [130]
Праздники Индии [74]
Новости, заметки [214]
Готовим кушать [9]
Отдых в Индии [67]
Отели Индии [19]
Кинозал [264]
Музыка [7]
Хинди [262]
Friends

Нравится/Like
Нравится
+2141
Интересное
* Новости Индии
* Википедия об Индии
* Погода в Индии
* Выучить хинди

Уроки хинди

Музыка кино

Радио

Поделиться

Главная » 2010 » Декабрь » 12 » Евангелие от Матфея - मत्ती - глава 12 (+аудио)
23:37
Евангелие от Матфея - मत्ती - глава 12 (+аудио)
Текст Евангелия от Матфея - मत्ती на языке хинди и построчное произношение на аудио.
Глава 12
1 उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, सो वे बालें तोड़ तोड़ कर खाने लगे।
2 फरीसियों ने यह देखकर उस से कहा, देख तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।
3 उस ने उन से कहा; क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया?
4 वह क्योंकर परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियां खाईं, जिन्हें खाना न तो उसे और उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था?
5 या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन के विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं।
6 पर मैं तुम से कहता हूं, कि यहां वह है, जो मन्दिर से भी बड़ा है।
7 यदि तुम इस का अर्थ जानते कि मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते।
8 मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है॥
9 वहां से चलकर वह उन की सभा के घर में आया।
10 और देखो, एक मनुष्य था, जिस का हाथ सूखा हुआ था; और उन्होंने उस पर दोष लगाने के लिये उस से पूछा, कि क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?
11 उस ने उन से कहा; तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक ही भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले?
12 भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है; इसलिये सब्त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा।
13 उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाईं अच्छा हो गया।
14 तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें?
15 यह जानकर यीशु वहां से चला गया; और बहुत लोग उसके पीछे हो लिये; और उस ने सब को चंगा किया।
16 और उन्हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना।
17 कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।
18 कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा; और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा।
19 वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा।
20 वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए।
21 और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी।
22 तब लोग एक अन्धे-गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उस ने उसे अच्छा किया; और वह गूंगा बोलने और देखने लगा।
23 इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, यह क्या दाऊद की सन्तान का है?
24 परन्तु फरीसियों ने यह सुनकर कहा, यह तो दुष्टात्माओं के सरदार शैतान की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकालता।
25 उस ने उन के मन की बात जानकर उन से कहा; जिस किसी राज्य में फूट होती है, वह उजड़ जाता है, और कोई नगर या घराना जिस में फूट होती है, बना न रहेगा।
26 और यदि शैतान ही शैतान को निकाले, तो वह अपना ही विरोधी हो गया है; फिर उसका राज्य क्योंकर बना रहेगा?
27 भला, यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो तुम्हारे वंश किस की सहायता से निकालते हैं? इसलिये वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे।
28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है।
29 या क्योंकर कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहिले उस बलवन्त को न बान्ध ले और तब वह उसका घर लूट लेगा।
30 जो मेरे साथ नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिथराता है।
31 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, पर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी।
32 जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्र-आत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न पर लोक में क्षमा किया जाएगा।
33 यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो, तो उसके फल को भी निक्कमा कहो; क्योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है।
34 हे सांप के बच्चों, तुम बुरे होकर क्योंकर अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है।
35 भला, मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है।
36 और मै तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे।
37 क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा॥
38 इस पर कितने शास्त्रियोंऔर फरीसियों ने उस से कहा, हे गुरू, हम तुझ से एक चिन्ह देखना चाहते हैं।
39 उस ने उन्हें उत्तर दिया, कि इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढ़ते हैं; परन्तु यूनुस भविष्यद्वक्ता के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन को न दिया जाएगा।
40 यूनुस तीन रात दिन जल-जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।
41 नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएंगे, क्योंकि उन्होंने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है जो यूनुस से भी बड़ा है।
42 दक्खिन की रानी न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने के लिये पृथ्वी की छोर से आई, और देखो, यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
43 जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती है, और पाती नहीं।
44 तब कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थी, लौट जाऊंगी, और आकर उसे सूना, झाड़ा-बुहारा और सजा सजाया पाती है।
45 तब वह जाकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उस में पैठकर वहां वास करती है, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है; इस युग के बुरे लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी।
46 जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा था, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे।
47 किसी ने उस से कहा; देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं।
48 यह सुन उस ने कहने वाले को उत्तर दिया; कौन है मेरी माता?
49 और कौन है मेरे भाई? और अपने चेलों की ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो, मेरी माता और मेरे भाई ये हैं।
50 क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है॥




ВСЕ ГЛАВЫ ЕВАНГЕЛИЯ от МАТФЕЯ на хинди (аудио)
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28
Категория: Хинди | Просмотров: 876 | Добавил: Olga_Tishchenko | Теги: Арифметика на магнитах
Поиск
RSS-Лента
Гость

Группа:
Гости

Группа "Православие в Индии"
Валюта
Курс Индийская рупия - рубль
Индийское время
Календарь
Погода в Индии
Прогноз погоды в городе Delhi Прогноз погоды в городе Agra Прогноз погоды в городе Calcutta Прогноз погоды в городе Madras Прогноз погоды в городе Bangalore Прогноз погоды в городе Bombay Прогноз погоды в городе Goa Прогноз погоды в городе Jaipur Прогноз погоды в городе Amritsar Прогноз погоды в городе Srinagar

Код кнопки сайта



Статистика
Статистика сайта:
Коментариев: 302
Сообщений: 6/18
Фото: 339
Новостей: 1150
Файлов: 11
Статей: 9

Счетчики статистики:


Rambler's Top100
Анализ веб сайтов



travel-india.ucoz.com | 2024